|| कलियुग का उद्धार - श्री कल्कि अवतार || 

|| कलियुग का उद्धार - श्री कल्कि अवतार || 

Shree Kalki Mahotsav

2024
श्री कल्कि महोत्सव की तैयारी श्री कल्कि धाम में पूरी कर ली गई थी। बृहस्पतिवार को शिलादान महायज्ञ से महोत्सव की शुरुआत हुई, जिसमें 108 हवन कुंडों में अग्निहोत्र किया गया। महायज्ञ में शिलाओं का पूजन किया गया। सांस्कृतिक संध्या में स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज ने दीप प्रज्जवलित कर शुभारंभ किया। साधु संतों के ठहरने और भोजन की व्यवस्था की गई थी, और प्रशासन ने सुरक्षा की जिम्मेदारी ली थी।
2023

श्री कल्किमहोत्सव : 2023

2023 में श्री कल्कि महोत्सव का आयोजन एक भव्य और रंगीन समारोह के रूप में हुआ। यहां संतों के प्रवचन, संगीत कार्यक्रम, और समाजसेवी कार्यों की झलकियां देखने को मिलीं। विशेष रूप से पर्यावरणीय मुद्दों पर चर्चा हुई।
2022

श्री कल्किमहोत्सव : 2022

2022 में महोत्सव में कोविड के बाद जीवन को फिर से सामान्य बनाने के लिए आयोजन किया गया। यहां मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए जागरूकता सत्र भी आयोजित किए गए थे।
2021

श्री कल्किमहोत्सव : 2021

2021 में महोत्सव में कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए आयोजन किया गया। धार्मिक प्रवचन और भक्ति संगीत का आयोजन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से हुआ।
2020

श्री कल्किमहोत्सव : 2020

कोविड-19 महामारी के कारण, 2020 का महोत्सव ऑनलाइन आयोजित किया गया। यह एक नया अनुभव था, जिसमें धर्म और संस्कृति को डिजिटल माध्यम से प्रचारित किया गया।
2019

श्री कल्किमहोत्सव : 2019

2019 में महोत्सव के दौरान आध्यात्मिक जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कार्यशालाएं और समागम आयोजित किए गए। युवा पीढ़ी के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए थे।
2018

श्री कल्किमहोत्सव : 2018

2018 में महोत्सव में स्थानीय कलाकारों और धार्मिक नेताओं का योगदान विशेष रहा। यह वर्ष महिलाओं के लिए समर्पित था, जिसमें महिलाओं के लिए विशेष धार्मिक सत्र आयोजित किए गए।
2017

श्री कल्किमहोत्सव : 2017

2017 में महोत्सव का आयोजन एक बड़े पैमाने पर किया गया। इस वर्ष प्रमुखता से धर्म, शिक्षा और समाजसेवा के कार्यक्रमों पर ध्यान दिया गया।
2016

श्री कल्किमहोत्सव : 2016

2016 के महोत्सव में विशेष रूप से भजन संध्या और धार्मिक ध्यान के कार्यक्रम आयोजित किए गए। युवा वर्ग ने इसमें सक्रिय रूप से भाग लिया और कल्याणकारी कार्यों में भाग लिया।
2015

श्री कल्किमहोत्सव : 2015

इस वर्ष महोत्सव में कई प्रमुख संतों ने भाग लिया और विशेष धार्मिक सत्रों का आयोजन किया। साथ ही, देशभर से श्रद्धालु बड़ी संख्या में महोत्सव में शामिल हुए।
2014

श्री कल्किमहोत्सव : 2014

2014 में महोत्सव के दौरान समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों को एक मंच पर लाने की कोशिश की गई। इस वर्ष में कई सामाजिक और धार्मिक कार्यों की घोषणा की गई थी।
2013

श्री कल्किमहोत्सव : 2013

2013 में महोत्सव में एक नया आयाम जोड़ा गया – पर्यावरण जागरूकता। भक्तों को पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर जागरूक करने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए गए।
2012

श्री कल्किमहोत्सव : 2012

2012 के महोत्सव में विशेष रूप से महिलाएं और बच्चों का ध्यान आकर्षित किया गया। धार्मिक शिक्षाओं के साथ-साथ समाजसेवी कार्यों पर भी जोर दिया गया। यहां धार्मिक पुस्तकों का वितरण भी किया गया।
2011

श्री कल्किमहोत्सव : 2011

2011 में महोत्सव में भव्य शोभायात्रा और धार्मिक आयोजन हुए, जिसमें भक्तों ने उत्साह से भाग लिया। यह आयोजन विशेष रूप से समाज में धार्मिक एकता और भाईचारे को बढ़ावा देने वाला था।
2010

श्री कल्किमहोत्सव : 2010

इस वर्ष कल्कि महोत्सव में कई धार्मिक प्रवचन और भजन संध्या का आयोजन हुआ। इसके अलावा स्थानीय कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक प्रदर्शन भी किए गए थे। श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि देखी गई।
2009

श्री कल्किमहोत्सव : 2009

2009 में महोत्सव में खास तौर पर युवा पीढ़ी को जोड़ने के लिए सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और गीत-संगीत के कार्यक्रम आयोजित किए गए। संतों ने धर्म के महत्व पर प्रकाश डाला।
2008

श्री कल्किमहोत्सव : 2008

2008 में इस महोत्सव का आयोजन और भी भव्य रूप से किया गया। यहां विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अलावा, धार्मिक अनुष्ठान और पूजा भी की गई। इस वर्ष में विशेष रूप से समाज में शांति और एकता के संदेश दिए गए थे।
2007
श्री कल्कि महोत्सव का पहला आयोजन 2007 में संपन्न हुआ था। इस महोत्सव ने धर्म, संस्कृति, और भारतीय परंपराओं को संरक्षित करने के उद्देश्य से सांस्कृतिक और धार्मिक गतिविधियों का आयोजन किया। इसमें प्रमुख रूप से संतों और विद्वानों के प्रवचन आयोजित किए गए थे।
2024
श्री कल्कि महोत्सव की तैयारी श्री कल्कि धाम में पूरी कर ली गई थी। बृहस्पतिवार को शिलादान महायज्ञ से महोत्सव की शुरुआत हुई, जिसमें 108 हवन कुंडों में अग्निहोत्र किया गया। महायज्ञ में शिलाओं का पूजन किया गया। सांस्कृतिक संध्या में स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज ने दीप प्रज्जवलित कर शुभारंभ किया। साधु संतों के ठहरने और भोजन की व्यवस्था की गई थी, और प्रशासन ने सुरक्षा की जिम्मेदारी ली थी।
2023

श्री कल्किमहोत्सव : 2023

2023 में श्री कल्कि महोत्सव का आयोजन एक भव्य और रंगीन समारोह के रूप में हुआ। यहां संतों के प्रवचन, संगीत कार्यक्रम, और समाजसेवी कार्यों की झलकियां देखने को मिलीं। विशेष रूप से पर्यावरणीय मुद्दों पर चर्चा हुई।
2022

श्री कल्किमहोत्सव : 2022

2022 में महोत्सव में कोविड के बाद जीवन को फिर से सामान्य बनाने के लिए आयोजन किया गया। यहां मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए जागरूकता सत्र भी आयोजित किए गए थे।
2021

श्री कल्किमहोत्सव : 2021

2021 में महोत्सव में कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए आयोजन किया गया। धार्मिक प्रवचन और भक्ति संगीत का आयोजन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से हुआ।
2019

श्री कल्किमहोत्सव : 2019

2019 में महोत्सव के दौरान आध्यात्मिक जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कार्यशालाएं और समागम आयोजित किए गए। युवा पीढ़ी के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए थे।
2018

श्री कल्किमहोत्सव : 2018

2018 में महोत्सव में स्थानीय कलाकारों और धार्मिक नेताओं का योगदान विशेष रहा। यह वर्ष महिलाओं के लिए समर्पित था, जिसमें महिलाओं के लिए विशेष धार्मिक सत्र आयोजित किए गए।
2017
2017 में महोत्सव का आयोजन एक बड़े पैमाने पर किया गया। इस वर्ष प्रमुखता से धर्म, शिक्षा और समाजसेवा के कार्यक्रमों पर ध्यान दिया गया।
2016
2016 के महोत्सव में विशेष रूप से भजन संध्या और धार्मिक ध्यान के कार्यक्रम आयोजित किए गए। युवा वर्ग ने इसमें सक्रिय रूप से भाग लिया और कल्याणकारी कार्यों में भाग लिया।
2015
इस वर्ष महोत्सव में कई प्रमुख संतों ने भाग लिया और विशेष धार्मिक सत्रों का आयोजन किया। साथ ही, देशभर से श्रद्धालु बड़ी संख्या में महोत्सव में शामिल हुए।
2014
2014 में महोत्सव के दौरान समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों को एक मंच पर लाने की कोशिश की गई। इस वर्ष में कई सामाजिक और धार्मिक कार्यों की घोषणा की गई थी।
2013
2013 में महोत्सव में एक नया आयाम जोड़ा गया – पर्यावरण जागरूकता। भक्तों को पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर जागरूक करने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए गए।
2012
2012 के महोत्सव में विशेष रूप से महिलाएं और बच्चों का ध्यान आकर्षित किया गया। धार्मिक शिक्षाओं के साथ-साथ समाजसेवी कार्यों पर भी जोर दिया गया। यहां धार्मिक पुस्तकों का वितरण भी किया गया।
2011
2011 में महोत्सव में भव्य शोभायात्रा और धार्मिक आयोजन हुए, जिसमें भक्तों ने उत्साह से भाग लिया। यह आयोजन विशेष रूप से समाज में धार्मिक एकता और भाईचारे को बढ़ावा देने वाला था।
2010
इस वर्ष कल्कि महोत्सव में कई धार्मिक प्रवचन और भजन संध्या का आयोजन हुआ। इसके अलावा स्थानीय कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक प्रदर्शन भी किए गए थे। श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि देखी गई।
2009
2009 में महोत्सव में खास तौर पर युवा पीढ़ी को जोड़ने के लिए सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और गीत-संगीत के कार्यक्रम आयोजित किए गए। संतों ने धर्म के महत्व पर प्रकाश डाला।
2008
2008 में इस महोत्सव का आयोजन और भी भव्य रूप से किया गया। यहां विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अलावा, धार्मिक अनुष्ठान और पूजा भी की गई। इस वर्ष में विशेष रूप से समाज में शांति और एकता के संदेश दिए गए थे।
2007
श्री कल्कि महोत्सव का पहला आयोजन 2007 में संपन्न हुआ था। इस महोत्सव ने धर्म, संस्कृति, और भारतीय परंपराओं को संरक्षित करने के उद्देश्य से सांस्कृतिक और धार्मिक गतिविधियों का आयोजन किया। इसमें प्रमुख रूप से संतों और विद्वानों के प्रवचन आयोजित किए गए थे।