|| कलियुग का उद्धार - श्री कल्कि अवतार || 

|| कलियुग का उद्धार - श्री कल्कि अवतार || 

श्रीकल्कि धाम

भगवान् श्रीहरि विष्णु कलियुग में श्रीकल्कि के रूप में अवतरित होंगे-यह घोषणा पुराणों ने की है। श्रीकल्कि का अवतार सम्भल की धरती पर होगा, यह भी पुराणों की स्पष्ट घोषणा है। जो लक्षण सम्भल की पावन धरा के संबंध में पुराण-वर्णित हैं, वे सभी वर्तमान सम्भल में देखे जा सकते हैं।
आचार्य प्रमोद कृष्णम् ने अपने अथक प्रयासों से सम्भल की पावन धरा के विस्मृत 68 तीर्थों का परिचय भारत ही नहीं, विश्व भर से करवाया। सत्य तो यह कि आचार्यश्री ने कलियुग में चिर प्रतीक्षित निष्कलंक श्रीकल्कि अवतार को हिन्दुओं के हृदय तक पहुंचाया और सम्भल को विश्व के आध्यात्मिक-धार्मिक जगत् में भावी अवतार की पावन धरा के रूप में स्थापित किया।
अपने जीवन को श्रीकल्कि के नाम के प्रचार-प्रसार में समर्पित करने वाले धुन के धनी आचार्य प्रमोद कृष्णम् ने सम्भल के गाँव ऐचौड़ा कम्बोह में श्रीकल्कि धाम की स्थापना की, तो धर्मक्षेत्र में प्रतिक्रिया हुई लेकिन यह प्रतिक्रिया सकारात्मक थी, भावनात्मक थी। धर्मक्षेत्र के दिग्गजों ने आचार्य प्रमोद कृष्णम् के इस अनुपम कार्य की सराहना की। देशभर के प्रमुख धर्माचार्यों, तपःपूत संत-महापुरुषों ने मुक्त कंठ ने श्रीकल्कि धाम को मान्यता प्रदान कर श्रीकल्कि नाम प्रचार में हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया। धर्माचार्यों ने एक स्वर में 2 नवंबर 2007 को सम्भल को ‘श्रीकल्किपीठ’ के रूप में मान्यता प्रदान कर आचार्यश्री को पीठ का प्रथम पीठाधीश्वर भी घोषित किया।
‘कल्किधाम’ स्थापना की औपचारिक घोषणा के बाद आचार्यश्री को सनातन जगत से बधाईयां तो खूब मिलीं, लेकिन इसी के साथ अनवरत बाधाओं का दौर भी शुरू हो गया। शासन-प्रशासन के स्तर पर अड़चनें खड़ी की गईं। एक वर्ग विशेष भी विरोध में खड़ा हो गया। लेकिन समस्त बाधाओं को अंततः आचार्यश्री के संकल्प के सामने समर्पण करना पड़ा। फिर वह स्वर्णिम पल आया, जब 19 फरवरी, 2024 को देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्रीयुत नरेन्द्र भाई मोदी जी के कर-कमलों से श्रीकल्कि धाम का शिलान्यास संपन्न हुआ।…और इस तरह श्रीकल्कि धाम के शिलान्यास का चिर प्रतीक्षित सनातन स्वप्न साकार हुआ।

श्रीकल्किधाम शिलान्यास एक ऐतिहासिक, अभूतपूर्व और अद्वितीय कदम है। भारत की सनातन पुण्य धरा पर एक नहीं अनेक धाम हैं, जो असंख्य हिन्दुओं की आस्था के केन्द्र हैं, लेकिन श्रीकल्किधाम उन सबसे अलग है, क्योंकि यहां एक साथ भगवान् श्रीहरि विष्णु के सभी दसों अवतारों के पृथक-पृथक दस भव्य गर्भगृह होंगे, जिनके शिखरों की ऊंचाई 72-72 फुट होगी। भक्तजन सभी अवतारों के दर्शन पूजन-अर्चन करते हुए भगवान् श्रीकल्कि के दर्शन का लाभ प्राप्त कर कृतकृत्य होंगे। यही नहीं, यहां भक्तजन माता वैष्णोदेवी के दर्शन भी कर पाएंगे। विभिन्न विशाल मंडपों और 108 फुट ऊंचे गगनचुंबी कलात्मक मुख्य शिखर की शोभा दर्शनीय होगी।

श्रीकल्कि धाम न केवल धार्मिक आस्था का चरम बिन्दु होगा अपितु यह आध्यात्मिक उत्थान का भी अजस्र स्त्रोत होगा। यहां से बहने वाली सनातन धर्म-अध्यात्म की अमृत-धारा लोगों का जीवन बदल डालने में सक्षम होगी। धर्म-अध्यात्म के साथ श्रीकल्किधाम सामाजिक दायित्वों का निर्वाह भी करेगा। इस धाम में विद्या की देवी सरस्वती को समर्पित विद्यालय होंगे, जिनमें प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक की व्यवस्था होगी। इस पावन धाम में निर्धनों के लिये उपचार केन्द्र होंगे, जिनका दायित्व योग्य एवं प्रतिष्ठित चिकित्सकों को सौंपा जायेगा। श्रीकल्किथाम परिसर में श्रीकल्किविद्यापीठ, गुरुकुल और श्रीकल्कि विश्वविद्यालय के साथ एक मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल भी स्थापित किया जाएगा, जिसका लाभ सम्पूर्ण क्षेत्रवासियों को मिलेगा।

श्रीकल्किधाम में प्रतिभाओं को सजने-सवंरने के अवसर प्रदान किये जायेंगे। कला-साहित्य और खेलों के विकास के लिये भी धाम में केन्द्र होंगे, जिनका लाभ वो बच्चे भी उठा पाएंगे जो सुविधाओं के अभाव में अपने प्रतिभा-प्रदर्शन से वंचित रह जाते हैं।

दिव्य श्रीकल्कि धाम में एक विशाल संग्रहालय भी होगा जो सनातन भारतीय संस्कृति का दर्पण होगा। संग्रहालय प्राचीन अर्वाचीन और वर्तमान संस्कृति का महासमुद्र होगा। इसी से जुड़ा होगा विश्व साहित्य से समृद्ध पुस्तकालय, जिसमें प्रत्येक विषय पर अनेकानेक ग्रन्थ उपलब्ध होंगे। श्रीकल्किधाम में ध्यान योग की व्यवस्था भी रहेगी। इन केन्द्रों को सुयोग्य अनुभवी आचार्यों की देखरेख में संचालित किया जाएगा। संक्षेप में कहें तो श्रीकल्किधाम में व्यक्ति के समग्र विकास के समस्त साधन एक छत के नीचे सुलभ होंगे, जिनका लाभ प्रत्येक वर्ग का व्यक्ति सहज ही उठा सकेगा। दिव्य सरोवर और भव्य उद्यान भी धाम की शोभा को द्विगुणित करेंगे।

श्रीकल्किपीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम् की सद्-इच्छा और दृढ़ संकल्प श्रीकल्किधाम के माध्यम से पीड़ित मानवता को श्रेष्ठता के शिखर तक ले जाने का है और इसके लिये वे श्रीकल्कि प्रभु से सदैव कामना करते रहते हैं।

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