|| कलियुग का उद्धार - श्री कल्कि अवतार || 

|| कलियुग का उद्धार - श्री कल्कि अवतार || 

श्रीकल्किपीठाधीश्वर

आचार्य प्रमोद कृष्णम

about us
विश्व को एक नयी दिशा और वसुधैव कुटुंबकम् का दर्शन देने के लिए, अनेंकों ऋषि-मुनि, महात्मा और संत भारत की भूमि पर आये हैं, जिन्होंने अपने चिंतन और साधना की शक्ति से हर युग में एक नयी ऊर्जा मानवता को प्रदान की है। इसी श्रंखला में आचार्य प्रमोद कृष्णम् जी का नाम बड़े सम्मान व गौरव के साथ लिया जाता है। आचार्य प्रमोद कृष्णम् जी का जन्म 4 जनवरी 1965 को उत्तर प्रदेश के जनपद संभल के ग्राम एंचोड़ा कम्बोह में त्यागी-ब्राह्मण परिवार के भारद्वाज गोत्र में हुआ।
पुराणों का उद्घोष है कि भगवान् श्री हरि विष्णु का दसवां व अंतिम अवतार श्री कल्कि के रूप में इसी संभल नामक स्थान पर होगा। पुराणों की इस उद्घोषणा को जन जन तक पहुंचाने का महानतम कार्य करने का श्रेय श्री कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम् जी को ही दिया जाता है। यूँ तो विश्व में अनेकों पीठ और धाम स्थापित हैं, परन्तु श्री कल्कि धाम एक ऐसा सिद्ध स्थान है जिसकी स्थापना भगवान् के अवतरण से पूर्व हुई है।
2 नवंबर 2007 को भारत के प्रमुख संतो की उपस्थिति में श्री कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम जी ने श्री कल्कि धाम के निर्माण का संकल्प लेते हुए यह घोषणा की, कि श्री कल्कि धाम विश्व का एक अनूठा धाम होगा जिसमें भगवान श्री हरि विष्णु के दसावतार के 10 अलग अलग गर्भ गृह होंगे। जन -जन के ह्रदय तक श्री कल्कि भगवान् की भक्ति पहुँचाने के लिए श्री कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम् जी निरंतर रूप से कार्यरत हैं। 18 वर्षों के कठोर तप और एक लंबे संघर्ष के बाद 19 फरवरी 2024 को वो शुभ घडी आई जब सनातन के करोड़ों अनुयायियों के दिव्य स्वप्न को साकार करने के लिए भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र भाई मोदी जी के द्वारा श्री कल्कि धाम के शिलान्यास का पुनीत और एतिहासिक कार्य किया।
विश्वबंधुत्व और वसुधैव कुटुम्बकम् के भाव को आत्मसात करते हुए श्री कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम् जी ने हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए भी अत्यंत सराहनीय कार्य किया है, जो राष्ट्रीय एकता के लिए युग- युगांतर तक याद रखा जायेगा। ऋषि परंपरा में श्री कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम् एक ऐसे विलक्षण संत है जिनके लाखों अनुयायी ईसाई और इस्लाम धर्म के मानने वाले भी हैं। श्री कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम् जी का मत है कि परमात्मा एक है और परमात्मा सबका है और हम सब परमात्मा के हैं। इसलिए धर्म, जाति और संप्रदाय के नाम पर किसी भी तरह की कट्टरता सनातन के मूल सिद्धांत के विरुद्ध है। धर्म के विषय में पूज्य आचार्य श्री का मत एक दम स्पष्ट है संपूर्ण विश्व में जितने भी धर्म प्रचलित हैं वो सब मत, समाज, संप्रदाय और विचार धाराएँ हैं जो किसी विशेष प्रयोजन के कारण मानव द्वारा रचित हैं, संपूर्ण विश्व में धर्म तो सिर्फ “सनातन” है, जो प्रकृति प्रदत्त है जिसको न बनाया जा सकता है और न ही मिटाया जा सकता है। जो सत्य है वही शाश्वत है और जो शाश्वत है वही सनातन है। सनातन की दो धाराएँ हैं एक निर्गुण और दूसरी सगुण इसलिए विश्व का सर्वाधिक प्राचीन और प्रकृति प्रदत्त यदि कोई धर्म है तो वो सनातन है।
श्री कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम् जी का प्रयास है कि भगवान् श्री कल्कि के नाम से एक आध्यात्मिक विश्वविद्यालय, वैदिक गुरुकुल गौशाला और एक अस्पताल का निर्माण भी श्री कल्कि धाम के साथ ही पूर्ण हो।
भगवान् श्री हरि विष्णु के दशम अवतार श्री कल्कि नारायण को समर्पित श्री कल्कि धाम विश्व का ऐसा एकमात्र धाम है जो भगवान् के आने वाले अवतार को समर्पित है। श्री कल्कि धाम में ईश्वर के सभी दशावतारों के स्वरूप को पूरे विधि- विधान से स्थापित किया जाएगा। श्री कल्कि धाम से संबंधित सभी प्रकल्पों के संचालन के लिए श्री कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम् जी के पावन सान्निध्य में श्री कल्कि धाम ट्रस्ट की स्थापना की गयी है।
श्री कल्कि धाम का वार्षिक उत्सव श्री कल्कि महोत्सव के रूप में प्रतिवर्ष बड़े धूम धाम से दीपावली के बाद मनाया जाता है जिसमें आयोजित 108 कुंडीय महायज्ञ, संत समागम और सांस्कृतिक संध्याएं, साहित्य और कला के जगत में अपना एक विशेष स्थान रखते है। गंगा की निर्मलता व अविरलता के साथ साथ गोरक्षा और राष्ट्र रक्षा श्री कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम् जी के प्रमुख संकल्पो में एक महत्व पूर्ण स्थान रखते हैं।
विश्वबंधुत्व और वसुधैव कुटुम्बकम् के भाव को आत्मसात करते हुए श्री कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम् जी ने हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए भी अत्यंत सराहनीय कार्य किया है, जो राष्ट्रीय एकता के लिए युग- युगांतर तक याद रखा जायेगा। ऋषि परंपरा में श्री कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम् एक ऐसे विलक्षण संत है जिनके लाखों अनुयायी ईसाई और इस्लाम धर्म के मानने वाले भी हैं। श्री कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम् जी का मत है कि परमात्मा एक है और परमात्मा सबका है और हम सब परमात्मा के हैं। इसलिए धर्म, जाति और संप्रदाय के नाम पर किसी भी तरह की कट्टरता सनातन के मूल सिद्धांत के विरुद्ध है। धर्म के विषय में पूज्य आचार्य श्री का मत एक दम स्पष्ट है संपूर्ण विश्व में जितने भी धर्म प्रचलित हैं वो सब मत, समाज, संप्रदाय और विचार धाराएँ हैं जो किसी विशेष प्रयोजन के कारण मानव द्वारा रचित हैं, संपूर्ण विश्व में धर्म तो सिर्फ “सनातन” है, जो प्रकृति प्रदत्त है जिसको न बनाया जा सकता है और न ही मिटाया जा सकता है। जो सत्य है वही शाश्वत है और जो शाश्वत है वही सनातन है। सनातन की दो धाराएँ हैं एक निर्गुण और दूसरी सगुण इसलिए विश्व का सर्वाधिक प्राचीन और प्रकृति प्रदत्त यदि कोई धर्म है तो वो सनातन है।
श्री कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम् जी का प्रयास है कि भगवान् श्री कल्कि के नाम से एक आध्यात्मिक विश्वविद्यालय, वैदिक गुरुकुल गौशाला और एक अस्पताल का निर्माण भी श्री कल्कि धाम के साथ ही पूर्ण हो।
भगवान् श्री हरि विष्णु के दशम अवतार श्री कल्कि नारायण को समर्पित श्री कल्कि धाम विश्व का ऐसा एकमात्र धाम है जो भगवान् के आने वाले अवतार को समर्पित है। श्री कल्कि धाम में ईश्वर के सभी दशावतारों के स्वरूप को पूरे विधि- विधान से स्थापित किया जाएगा। श्री कल्कि धाम से संबंधित सभी प्रकल्पों के संचालन के लिए श्री कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम् जी के पावन सान्निध्य में श्री कल्कि धाम ट्रस्ट की स्थापना की गयी है।
श्री कल्कि धाम का वार्षिक उत्सव श्री कल्कि महोत्सव के रूप में प्रतिवर्ष बड़े धूम धाम से दीपावली के बाद मनाया जाता है जिसमें आयोजित 108 कुंडीय महायज्ञ, संत समागम और सांस्कृतिक संध्याएं, साहित्य और कला के जगत में अपना एक विशेष स्थान रखते है। गंगा की निर्मलता व अविरलता के साथ साथ गोरक्षा और राष्ट्र रक्षा श्री कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम् जी के प्रमुख संकल्पो में एक महत्व पूर्ण स्थान रखते हैं।

श्रीकल्किपीठाधीश्वर

अतीत के झरोखे से

श्रीकल्किधाम की स्थापना एक ऐतिहासिक कदम है, एक ऐसा निर्णय, जो अभूतपूर्व, अद्वितीय एवं अकल्पनीय है। श्रीकल्किधाम का स्वरुप भी मनभावन होने के साथ भव्यता एवं दिव्यता से परिपूर्ण होना चाहिए ऐसा विचार श्रीकल्किपीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम का है।

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